चाहने को तो बहुत कुछ चाहती हूँ...
आसमान में उढ़ना चाहती हूँ,
फिर से खुलके हँसना चाहती हूँ,
बचपन वापिस जीना चाहती हूँ,
चाहने को तो बहुत कुछ चाहती हूँ...
चैन की नींद सोना चाहती हूँ,
बेफिक्र अंगराई लेना चाहती हूँ,
एक नयी शुरुआत करना चाहती हूँ,
चाहने को तो बहुत कुछ चाहती हूँ...
जब दिल किया गाना चाहती हूँ,
जब मन चाहा नाचना चाहती हूँ,
जैसी हूँ वैसी ही रहना चाहती हूँ,
चाहने को तो बहुत कुछ चाहती हूँ...
हर दर्द भूलाना चाहती हूँ,
हर दोस्ती निभाना चाहती हूँ,
मैं फिर से प्यार करना चाहती हूँ,
चाहने को तो बहुत कुछ चाहती हूँ...
बारिश में भीगना चाहती हूँ,
हर बूँद महसूस करना चाहती हूँ,
मैं बादलों को छूना चाहती हूँ,
चाहने को तो बहुत कुछ चाहती हूँ...
आसमान में उढ़ना चाहती हूँ,
ज़िन्दगी वापिस जीना चाहती हूँ,
हजारों ख्वाहिशें पूरी करना चाहती हूँ,
चाहने को तो बहोत कुछ चाहती हूँ...
4 comments:
Really a good attempt. :)
Thanks, though I feel I should never try poetry... I suck at it...
Really nice the way u have put it...keep it up !! :)
Thanks Arun ;-)
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